Why Do We Celebrate Holi Festival
Hello Dosto,
कुछ दिनों में Holi आने वाली है इस आर्टिकल में मैंने बताया है की Why Do We Celebrate Holi Festival.
अगर आप होली सेलिब्रेट क्यों करते है वो जानना छटे है को इस आर्टिकल को पूरा पढ़िए.
21 March 2019- Dhuleti
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Hello Dosto,
कुछ दिनों में Holi आने वाली है इस आर्टिकल में मैंने बताया है की Why Do We Celebrate Holi Festival.
अगर आप होली सेलिब्रेट क्यों करते है वो जानना छटे है को इस आर्टिकल को पूरा पढ़िए.
Holi Date 2019 -
20 March 2019- Holi21 March 2019- Dhuleti
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Holi |
Why Do We Celebrate Holi Festival-
हम होली का त्यौहार क्यों मनाते है-
होली में होलिका दहन करके Holi Festival Celebrate किया जाता है. होलिका दहन बहोत ही पुरानी परंपरा है.
विष्णुपुराण की एक कथा के अनुसार असुर कुल में असुर राज हिरण्यकश्यप का शासन था और असुर राज हिरण्यकश्यप के वहा लड़के का जन्म हुआ था जिसका नाम प्रहलाद था.असुर राज में आदेश था की कोई भी भगवान विष्णु की पूजा नहीं करेगा. लेकिन प्रह्लाद विष्णु भक्त था और भगवन में बहोत मानता था. इस पर हिरण्यकश्यप ने क्रोधित होकर अपने ही बेटे को मृत्यु दंड दिया.
हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को वरदान था की अगर वो वरदान में मिली शाल ओढ़कर आग में बैठेगी तो उसको कुछ भी नहीं होगा. इसलिए हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को होलिका के साथ आग में बिठा दिया मृत्यु दंड देने के लिए, लेकिन भगवन की कृपा से प्रह्लाद को कुछ नहीं हुआ और होलिका जल गयी.
अगले दिन भगवन विष्णु ने नरसिंह का अवतार लेकर हिरण्यकश्यप को मार दिया और राज्य को उसके अत्यचरो से मुक्त करवाया.
होली की संध्या पर जलाने वाली आग होलिका दहन का प्रतिक है. और दूसरे दिन हिरण्यकश्यप को भगवन विष्णु ने मार दिया था इसलिए असुर पर भगवन की जीत की ख़ुशी में एक दूसरे को रंग लगाकर धुलेटी मनाते है.
होलिका की मृत्यु का भारत के अलग अलग राज्य में अलग अलग कारण बताया गया है.होलिका के मृत्यु की घटना पंजाब के मूलस्थान में हुई थी जो की आज मुल्तान नाम से जाना जाता है.
दूसरे दिन लोग एकदूसरे को रंग लगते है और धुलेटी मनाते है.
विष्णुपुराण की एक कथा के अनुसार असुर कुल में असुर राज हिरण्यकश्यप का शासन था और असुर राज हिरण्यकश्यप के वहा लड़के का जन्म हुआ था जिसका नाम प्रहलाद था.असुर राज में आदेश था की कोई भी भगवान विष्णु की पूजा नहीं करेगा. लेकिन प्रह्लाद विष्णु भक्त था और भगवन में बहोत मानता था. इस पर हिरण्यकश्यप ने क्रोधित होकर अपने ही बेटे को मृत्यु दंड दिया.
हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को वरदान था की अगर वो वरदान में मिली शाल ओढ़कर आग में बैठेगी तो उसको कुछ भी नहीं होगा. इसलिए हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को होलिका के साथ आग में बिठा दिया मृत्यु दंड देने के लिए, लेकिन भगवन की कृपा से प्रह्लाद को कुछ नहीं हुआ और होलिका जल गयी.
अगले दिन भगवन विष्णु ने नरसिंह का अवतार लेकर हिरण्यकश्यप को मार दिया और राज्य को उसके अत्यचरो से मुक्त करवाया.
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Bhagvan Vishnu Vadh Hirnyakashyap |
होली की संध्या पर जलाने वाली आग होलिका दहन का प्रतिक है. और दूसरे दिन हिरण्यकश्यप को भगवन विष्णु ने मार दिया था इसलिए असुर पर भगवन की जीत की ख़ुशी में एक दूसरे को रंग लगाकर धुलेटी मनाते है.
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Holi Celebrate |
होलिका की मृत्यु का भारत के अलग अलग राज्य में अलग अलग कारण बताया गया है.होलिका के मृत्यु की घटना पंजाब के मूलस्थान में हुई थी जो की आज मुल्तान नाम से जाना जाता है.
होलिका दहन कैसे किया जाता है-
होली की शाम एक जगह पर अलाव के लिए लकड़ी और दहनशील सामग्री इकठा करते है और उसके अंदर पुतला रखते है और फिर उसे जलाया जाता है.जो की होलिका दहन का प्रतिक है. फिर लोग उस अग्नि के चारो और चक्कर लगाते है.![]() | |
Holika Dahan Preparation |
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Holika Dahan |
दूसरे दिन लोग एकदूसरे को रंग लगते है और धुलेटी मनाते है.
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Happy Holi |
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Happy holi
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